अजमेर: जैन भिक्षुओं के एक समूह और विश्व हिंदू परिषद के कई नेताओं ने मंगलवार को राजस्थान के अजमेर में एएसआई द्वारा संरक्षित मस्जिद 'अढ़ाई दिन का झोंपड़ा' का दौरा किया और दावा किया कि वहां एक संस्कृत स्कूल और एक जैन मंदिर मौजूद था।
भिक्षुओं का नेतृत्व सुनील सागर महाराज ने किया। वे फवारा सर्किल से दरगाह बाजार होते हुए स्मारक पहुंचे।
अजमेर नगर निगम के उपमहापौर नीरज जैन ने कहा कि अढ़ाई दिन का झोंपड़ा के पुनर्विकास की मांग पहले भी उठती रही है।
जैन ने कहा, ''हमने अतीत में मांग की थी कि स्मारक का पुनर्विकास किया जाना चाहिए और इसके पुराने गौरव को बहाल किया जाना चाहिए।'' उन्होंने कहा, ''स्मारक में एक स्टोर रूम में मूर्तियां रखी हुई हैं।''
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की वेबसाइट के अनुसार, यह स्मारक 1199 ई. में दिल्ली सल्तनत के पहले सुल्तान कुतुब-उद-दीन-ऐबक द्वारा निर्मित एक मस्जिद है।
अढ़ाई दिन का झोंपड़ा दिल्ली में कुतुब मीनार परिसर की मस्जिद का समकालीन है। इसे क़ुवाल-उल-इस्लाम मस्जिद (इस्लाम की शक्ति) के नाम से भी जाना जाता है।
एएसआई ने कहा, "सुल्तान इल्तुतमिश ने बाद में 1213 ई में इसे कोरबेल्ड उत्कीर्ण मेहराबों द्वारा छेदी गई स्क्रीन से सुशोभित किया था जो इस देश में पहली बार दिखाई देता है।"