नई दिल्ली: सभी गैर-राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) दलों को एक साथ लाने और 2024 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का मुकाबला करने के लिए कम से कम आठ शीर्ष विपक्षी नेताओं ने हाथ मिलाया है।
समूह को G-8 नाम दिया गया है और इसमें सात मुख्यमंत्री शामिल हैं - नीतीश कुमार (बिहार), ममता बनर्जी (पश्चिम बंगाल), के चंद्रशेखर राव (तेलंगाना), जिन्हें केसीआर के नाम से जाना जाता है, अरविंद केजरीवाल (दिल्ली), एमके स्टालिन (तमिलनाडु), हेमंत सोरेन (झारखंड) और भगवंत मान (पंजाब)। इसमें बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी शामिल हैं।
सूत्रों के मुताबिक, G-8 ने अब तक एक दौर की चर्चा की है और बीजेपी के खिलाफ संयुक्त मोर्चा शुरू करने की अपनी योजना को अंतिम रूप देने के लिए जल्द ही कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों से संपर्क करेगा।
पहली नज़र में, G-8 एक दबाव समूह के रूप में कार्य करता हुआ प्रतीत होता है जो बिना किसी नियम और शर्त के कांग्रेस को साथ आने के लिए मजबूर करेगा।
घटनाक्रम से परिचित एक नेता ने कहा, "यह महत्वपूर्ण नहीं है कि मोर्चे का नेतृत्व कौन करता है, लेकिन 2024 में भाजपा को बाहर करने के लिए विपक्षी एकता लाना अनिवार्य है।"
कांग्रेस ने अब तक इस बात पर जोर दिया है कि वो किसी भी विपक्षी समूह की धुरी है क्योंकि वह पूरे देश में मौजूदगी वाली एकमात्र पार्टी है।
हालांकि, केसीआर की भारत राष्ट्र समिति (पहले तेलंगाना राष्ट्र समिति) और केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) जैसी विपक्षी पार्टियां कांग्रेस के नेतृत्व वाले किसी भी मोर्चे में शामिल होने से कतरा रही हैं।
ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के भी कांग्रेस के साथ नरम-गरम रिश्ते रहे हैं।
सूत्रों ने दावा किया कि G-8 आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के सुप्रीमो वाईएस जगनमोहन रेड्डी को भी शामिल करने के लिए काम कर रहा है, जो कांग्रेस के नेतृत्व वाले किसी भी समूह के गठन के विचार का घोर विरोध करते हैं।
यह घटनाक्रम बिहार के मुख्यमंत्री के बयान के साथ मेल खाता है कि वह सभी विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की दिशा में काम करने के लिए कांग्रेस से संकेत की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
शनिवार को पटना में भाकपा माले के एक राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कुमार ने कहा कि अगर विपक्ष एकजुट होता है तो भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में 100 सीटों का आंकड़ा पार नहीं कर पाएगी।
कुमार ने आगे पुष्टि की कि उन्होंने विभिन्न दलों के नेताओं से मुलाकात की और व्यापक विपक्षी एकता पर चर्चा की।
उनके बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए, कांग्रेस ने जोर देकर कहा कि सबसे पुरानी पार्टी अपनी भूमिका से अच्छी तरह वाकिफ है और कहा कि इसके बिना विपक्षी एकता न तो संभव होगी और न ही सफल होगी।
“हम दो चेहरे वाले नहीं हैं। हमारे पास केवल एक ही चेहरा है…" कांग्रेस के महासचिव और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने एक प्रेस वार्ता में कहा जिसमें के सी वेनुगोपाल, कुमारी शैलजा, तारिक अनवर और पवन कुमाल बंसल जैसे दिग्गज नेता भी शामिल थे।
पार्टी ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ के रायपुर में शुक्रवार से शुरू होने वाले तीन दिवसीय plenary सत्र के दौरान पार्टी के शीर्ष नेता विपक्षी एकता को मजबूत करने के तरीकों पर विचार-विमर्श करेंगे और इसे आगे की दिशा देंगे।
हालाँकि, वेणुगोपाल और रमेश की ये टिप्पणी स्पष्ट रूप से विपक्षी खेमे में बेचैनी पैदा की है।
कुछ नेताओं का तर्क है कि इस तरह के बयानों से कांग्रेस की ओर से अहंकार की बू आती है और यह विपक्ष की जरूरी एकता के लिए एक बड़ी बाधा हो सकती है।