मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने चोर होने के संदेह में तीन नाबालिग लड़कों के निजी अंगों पर हमला करने के आरोपी 33 वर्षीय व्यक्ति को जमानत दे दी है, यह देखते हुए कि मामले में कोई यौन इरादा शामिल नहीं था।
न्यायमूर्ति अनिल किलोर की एकल पीठ ने 21 जून के आदेश और सोमवार को उपलब्ध कराये गये आदेश में कपिल टाक को जमानत दे दी। अदालत ने कहा कि मामला पूरी तरह से शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना से संबंधित है।
टाक को 2021 में भारतीय दंड संहिता के तहत अप्राकृतिक अपराध, हमले और आपराधिक धमकी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, साथ ही यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न के लिए भी गिरफ्तार किया गया था।
टाक और अन्य आरोपियों ने कथित तौर पर तीन किशोर लड़कों को निर्वस्त्र किया, उन पर चमड़े की बेल्ट से हमला किया, उनकी गुदा में उंगलियां डालीं और उनके निजी अंगों पर बाम लगाया। टाक पर घटना को मोबाइल फोन पर फिल्माने का भी आरोप है।
पीठ ने कहा, "एफआईआर और आवेदक के खिलाफ एफआईआर में लगाए गए आरोपों को देखने के बाद, प्रथम दृष्टया यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड पर कुछ भी नहीं लाया गया है कि कोई यौन इरादा था।"