नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को संकेत दिया कि वैवाहिक बलात्कार से पतियों की छूट संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई 13 अगस्त से शुरू होगी। जनवरी 2023 से मामले की प्रभावी सुनवाई नहीं हुई है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) धनंजय वाई चंद्रचूड़, जो इस मामले में पीठ का नेतृत्व कर रहे हैं, ने कहा कि अंतिम बहस के लिए सुनवाई 13 अगस्त को शुरू होने की संभावना है। सीजेआई का बयान वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह और करुणा नंदी द्वारा मामले का उल्लेख करने के बाद आया।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अपने 2022 के फैसले में एक-दूसरे से असहमत थे, जिनमें से एक ने पतियों को अपनी पत्नियों के साथ गैर-सहमति से यौन संबंध बनाने के लिए अभियोजन से बचाने वाले खंड को "नैतिक रूप से प्रतिकूल" करार दिया। दूसरे ने कहा कि इसने किसी कानून का उल्लंघन नहीं किया है और इसका अस्तित्व जारी रह सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक याचिका एक व्यक्ति की अपील है, जिसकी पत्नी के साथ बलात्कार के मुकदमे को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मार्च 2022 के फैसले में मंजूरी दे दी थी। शीर्ष अदालत ने जुलाई 2022 में इस मामले की सुनवाई पर रोक लगा दी।
कर्नाटक की तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने पिछले साल नवंबर में पति के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने का समर्थन करते हुए अपना हलफनामा दायर किया था। इसमें कहा गया है कि आईपीसी किसी व्यक्ति पर अपनी पत्नी से बलात्कार करने के लिए मुकदमा चलाने की अनुमति देता है और इसलिए, धारा 375 के तहत पति का मुकदमा वैध है। कर्नाटक में नई सरकार ने अब तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह भाजपा सरकार के रुख का पालन करती है या नहीं।