नई दिल्ली: गृह मंत्री अमित शाह ने ऐलान किया की भारत और म्यांमार के बीच फ्री मूवमेंट रेजीम तनी एफ एम आर को खत्म कर दिया गया है।
अमित शाह ने यह भी कहा कि यह निर्णय म्यांमार की सीमा से लगे भारत के पूर्वोत्तर राज्यों की जनसांख्यिकीय संरचना को बनाए रखने के लिए लिया गया है।
अमित शाह ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, "चूंकि विदेश मंत्रालय वर्तमान में इसे खत्म करने की प्रक्रिया में है, इसलिए गृह मंत्रालय ने एफएमआर को तत्काल निलंबित करने की सिफारिश की है।" अमित शाह ने यह घोषणा कुछ दिनों बाद की जब उन्होंने कहा कि भारत ने पूरी 1,643 किलोमीटर लंबी भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने का फैसला किया है, जिससे खुली सीमा पर प्रचलित मुक्त आवाजाही व्यवस्था (एफएमआर) समाप्त हो जाएगी।
फ्री मूवमेंट रिजीम या एफएमआर भारत-म्यांमार सीमा के करीब रहने वाले लोगों को बिना किसी दस्तावेज़ के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किमी तक जाने की अनुमति देता है। 1,643 किलोमीटर लंबी भारत-म्यांमार सीमा, जो मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरती है, वर्तमान में एफएमआर है।
इसे 2018 में भारत की एक्ट ईस्ट नीति के हिस्से के रूप में पेश किया गया था। सीमा पर बाड़ लगाना इंफाल घाटी स्थित मैतेई समूहों की लगातार मांग रही है, जो आरोप लगाते रहे हैं कि आदिवासी आतंकवादी अक्सर खुली सीमा के माध्यम से भारत में प्रवेश करते हैं।
कुछ वक्त पहले यह भी आरोप लगाया गया था कि बिना बाड़ वाली अंतरराष्ट्रीय सीमा का फायदा उठाकर भारत में नशीले पदार्थों की तस्करी की जा रही है। एक्स पर एक पोस्ट में अमित शाह ने कहा था कि नरेंद्र मोदी सरकार अभेद्य सीमाएं बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
गृह मंत्री ने कहा था, "पूरी 1643 किलोमीटर लंबी भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने का फैसला किया गया है। बेहतर निगरानी की सुविधा के लिए, सीमा पर एक गश्ती ट्रैक भी बनाया जाएगा।" अमित शाह ने कहा कि मणिपुर के मोरेह में सीमा के 10 किलोमीटर लंबे हिस्से में पहले ही बाड़ लगाई जा चुकी है।
इसके अलावा, हाइब्रिड निगरानी प्रणाली के माध्यम से बाड़ लगाने की दो पायलट परियोजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं। मणिपुर की लगभग 390 किमी लंबी सीमा म्यांमार के साथ लगती है, लेकिन अब तक केवल 10 किमी तक ही बाड़ लगाई गई है। पिछले साल जुलाई में, राज्य सरकार ने डेटा साझा किया था कि लगभग 700 अवैध अप्रवासी राज्य में प्रवेश कर चुके हैं।
इसके अलावा, 1 फरवरी, 2021 को म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद से मिजोरम में हजारों की संख्या में जुंटा विरोधी विद्रोहियों की आमद देखी गई है। सरकारी अनुमान के मुताबिक, तख्तापलट के बाद से कई हजार शरणार्थी मिजोरम के विभिन्न हिस्सों में रह रहे हैं। मिजोरम की 510 किमी लंबी सीमा म्यांमार से लगती है।
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने भी कहा था कि म्यांमार से कई लोगों ने राज्य में प्रवेश करने की कोशिश की, लेकिन बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी देखकर वे लौट गए। 3 फरवरी को अमित शाह से मुलाकात के बाद बीरेन सिंह ने कहा था कि केंद्र राज्य के लोगों के हित में "कुछ महत्वपूर्ण फैसले" लेने के लिए तैयार है।