कांग्रेस के उत्तराधिकारी राहुल गांधी 6 से 10 सितंबर के बीच पाँच दिनों की यूरोप यात्रा पर जा रहे हैं। ठीक उसी समय जब देश में G20 Summit होना है।
वह 7 सितंबर को ब्रुसेल्स में European Union के सदस्यों के साथ बैठक में भाग लेंगे। ये वही European Union के सदस्य हैं जिन्हें भारत ने मणिपुर के मुद्दे पर दखल देने पर लताड़ लगाई थी।
इसके अलावा कांग्रेस नेता अपने सेट Format में कई अन्य programmes में भी हिस्सा लेंगे।
जब पूरा देश जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान 40 देशों के प्रमुखों की मेजबानी करके गर्व महसूस कर रहा होगा, तब राहुल गांधी लोकतंत्र, समाज में विभाजन और जातीय संघर्ष से ग्रस्त मणिपुर जैसे मुद्दों के पीछे छिपकर भारत को फिर से विदेशी सरज़मीं से कोसते नजर आएंगे।
राहुल गांधी की यात्रा एक रणनीति के तहत है। हाल ही में BRICS Summit के दौरान उन्होंने लेह से चीन द्वारा भारतीय जमीन पर कब्जे की बात कही थी।
इससे पहले, पीएम मोदी की राजकीय यात्रा से ठीक पहले उन्होंने अमेरिका की यात्रा की थी।
यह पैटर्न नया नहीं है। इस रणनीति ने उन्हें विपक्ष के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में स्थापित किया है।
लेकिन क्या यह रणनीति वोटों के रूप में लाभ देगी या इसका उल्टा असर होगा?
जानिये NewsDrum LIVE के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक शेखर अय्यर से।