पहलवानों का धरना हाईजैक: आंदोलनजीवी है पी टी उषा को खदेड़ने वाली सुदेश गोयत

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PT Usha insulted by Sudesh Goyat

पूर्व ओलंपियन और आईओसी अध्यक्ष पीटी उषा को जलील करती हुई आंदोलनजीवी सुदेश गोयत

नई दिल्ली: पूर्व ओलंपियन और आईओसी अध्यक्ष पीटी उषा के साथ बदतमीज़ी करके उन्हें पहलवानों के प्रदर्शन स्थल से खदेड़ने वाली महिला का दूर-दूर तक कुश्ती का किसी भी खेल से कोई नाता नहीं है। अलबत्ता, वह महिला नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ किसी भी तरह के विरोध प्रदर्शनों को हाईजैक करने वाली एक पेशेवर आंदोलनजीवी के रूप में जानी जाती है।

पूर्व ओलंपियन से बदतमीज़ी करने वाली पेशेवर आंदोलनजीवी को बेनकाब करते हुए कई मीम्स सोशल मीडिया पर वायरल हैं।

कौन है पीटी उषा से बदतमीज़ी करने वाली महिला?

उस महिला की पहचान सुदेश गोयत के रूप में हुई है, जो एक भारतीय सेना के पूर्व सैनिक की पत्नी है। वह ओआरओपी आंदोलन के दौरान लाइमलाइट में आई थी।

उसके बाद उस महिला को किसानों के विरोध प्रदर्शनों में काफी सक्रिय देखा गया था।

बाद में, गोयत को केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई अग्निपथ भर्ती योजना के विरोध में हो रहे आंदोलन में भी देखा गया।

हरियाणा के हिसार के सीसर गांव के किसान की बेटी गोयत को मीडिया का एक वर्ग वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) की 'आयरन लेडी' भी बता चुका है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पुरस्कार जीतने वाले कई पहलवान जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे हैं और मांग कर रहे हैं कि सरकार WFI प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच करने वाली कमिटी के निष्कर्षों को सार्वजनिक करे।

पहलवानों की मांग के मुताबिक सात महिला पहलवानों द्वारा सिंह के खिलाफ लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों पर दिल्ली पुलिस ने दो प्राथमिकी दर्ज कर ली है। लेकिन पहलवान अब सिंह की गिरफ्तारी की मांग पर अड़ गए हैं।

यह जानते हुए भी कि गिरफ्तारी एक कानूनी प्रक्रिया है और किसी धरने से कानून नहीं चलेगा, यह साफ हो गया है कि पहलवानों का धरना हाईजैक हो चुका है और अब सरकार विरोधी ताकतें एक बार फिर से कोहराम मचाने की तैयारी में हैं।

कैसे हुआ पहलवानों का धरना हाईजैक?

किसी भी अन्य आंदोलन की तरह, पहलवानों का धरना पहली बार जनवरी में एक गैर-राजनैतिक विरोध के रूप में शुरू हुआ।

खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने उनके साथ 12 घंटे बिताए- पहले दिन सात घंटे और अगले दिन पांच घंटे (जनवरी में)।

मंत्री ने उनकी सारी शिकायतें सुनीं, रात 2-2.30 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस की और उनसे बात कर एक कमेटी बनाई.

ठाकुर ने पिछले हफ्ते बताया कि विरोध करने वाले पहलवानों ने बबिता फोगाट का नाम दिया और सरकार ने उन्हें समिति में शामिल कर लिया।

"जो कोई भी कमेटी के समक्ष अपना पक्ष रखना चाहता था, उसे ऐसा करने का मौका दिया गया था, कोई प्रतिबंध नहीं था। हमने जांच की समय सीमा भी बढ़ाई, 14 बैठकें हुईं। जो भी आना चाहता था, आया। हमने प्रत्येक एथलीट को अपना पक्ष रखने का मौका दिया," ठाकुर ने मीडिया से कहा।

सरकार द्वारा प्रदर्शनकारियों के पक्ष से एक सदस्य को कमेटी में शामिल करने की मांग मानने के बाद पहलवानों ने अपना विरोध प्रदर्शन बंद कर दिया।

तीन महीने बाद, WFI प्रमुख, जो उत्तर प्रदेश के गोंडा से भाजपा सांसद भी हैं, के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और पुलिस द्वारा गहन जांच की मांग को लेकर पहलवानों ने जंतर-मंतर पर अपना विरोध फिर से शुरू कर दिया।

मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के बाद, दिल्ली पुलिस ने 28 अप्रैल को WFI प्रमुख के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज कीं। लेकिन तब तक, विरोध प्रदर्शन करने वाले पहलवानों के आह्वान पर मोदी सरकार के राजनीतिक विरोधियों ने प्रदर्शन को हाईजैक कर लिया था।

सभी विपक्षी दलों और उनके नेताओं ने प्रदर्शनकारियों को समर्थन दिया, जो WFI प्रमुख के दावों को सत्यापित करता है कि पहलवानों का धरना पूरी तरह से राजनीतिक है।

गोयत जैसे पेशेवर आंदोलनजीवियों को इस पुनर्जीवित प्रदर्शन के पीछे का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है।

नतीजतन, प्रदर्शनकारी पहलवानों ने एफआईआर दर्ज करने के बाद डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष की गिरफ्तारी की मांग कर डाली।

इसके बाद पेशेवर आंदोलनजीवी गोयत ने पूर्व ओलंपियन पीटी उषा को खरी-खोटी सुनाई, उनसे बदतमीज़ी की और उन्हें जंतर मंतर से जलील कर के खदेड़ दिया।

आम आदमी पार्टी के विधायक और दिल्ली के बर्खास्त मंत्री सोमनाथ भारती के प्रवेश से प्रदर्शनकारियों और दिल्ली पुलिस के बीच तकरार शुरू हो गई और विरोध के पीछे छिपे मकसद का पर्याप्त सबूत मिल गया।

कहासुनी के बाद प्रमुख प्रदर्शनकारी पहलवान बजरंग पुनिया ने किसानों को धरना स्थल पर बुलाया। हालांकि, गोयत, जो किसानों के विरोध के आयोजकों में से एक थी, कैमरे के पीछे रही।

जहां दिल्ली पुलिस किसान आंदोलन जैसी स्थिति की आशंका से मध्य दिल्ली की ओर जाने वाली सड़कों को अवरुद्ध करने में व्यस्त है, वहीं लोग धरने को लंबा खींचे जाने के समय पर सवाल उठा रहे हैं।

गौरतलब है कि SCO शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए विदेशी गणमान्य व्यक्ति भारत आए हुए है और ऐसे में यह धरना वैश्विक मंच पर देश की गलत छाप छोड़ता है।

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प की यात्रा के दौरान सीएए विरोध और 2020 के दिल्ली दंगों की याद ताजा हो गई है।

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