नई दिल्ली: एक हफ्ते से भी कम समय में यह बिल्कुल स्पष्ट हो गया कि केबल ऑपरेटरों और प्रसारकों के बीच टैरिफ को लेकर दिखने वाली लड़ाई दरअसल दो कॉरपोरेट मीडिया घरानों के बीच टकराव का नतीज़ा थी।
स्टार इंडिया, ज़ी एंटरटेनमेंट और सोनी टीवी ने 18 फरवरी को उन केबल ऑपरेटरों के लिए अपने चैनल बंद कर दिए, जिन्होंने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) द्वारा अधिसूचित संशोधित नए टैरिफ ऑर्डर (NTO 3.0) के प्रावधानों का पालन नहीं किया।
एनटीओ 3.0 1 फरवरी को लागू हुआ और 13 केबल ऑपरेटरों को छोड़कर सभी डीटीएच ऑपरेटरों और केबल ऑपरेटरों ने ब्रॉडकास्टरों के साथ इंटरकनेक्शन समझौतों पर हस्ताक्षर किए ताकि उनके ग्राहकों को सभी चैनल सुचारू रूप से मिल सके।
अनुपालन नहीं करने वाले केबल ऑपरेटर ऑल इंडिया डिजिटल केबल फेडरेशन (AIDCF) के तत्वावधान में देश भर के कई उच्च न्यायालयों में चले गए।
सभी उच्च न्यायालयों ने NTO 3.0 पर किसी भी अंतरिम रोक से इनकार कर दिया।
केरल उच्च न्यायालय रोज़ मामले की सुनवाई कर रहा है और इस दौरान केबल ऑपरेटर हर दिन एक-एक करके मैदान छोड़ते रहे।
कानूनी लड़ाई के बीच में पाला बदलने वाले सात केबल ऑपरेटरों में से एक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने NewsDrum.in को बताया कि उन्हें धीरे-धीरे एहसास हुआ कि आईपीएल सीजन (IPL 2023) से पहले स्टार इंडिया को नुकसान पहुंचाने के लिए रिलायंस ने अपने तीन केबल ऑपरेटरों का इस्तेमाल करके विवाद खड़ा किया था।
“हम हर दिन बड़ी संख्या में ग्राहकों को खो रहे थे जो कभी वापस नहीं आएंगे। जबकि, broadcasters का नुकसान अस्थाई है। लोग OTT और डीटीएच ऑपरेटरों सहित कई माध्यमों से उनके कंटेंट देख लेंगे। यह तो हम हैं जिन्होंने अपने ग्राहकों को स्थायी रूप से खो दिया है,” अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा।
“रिलायंस जैसी बड़ी कंपनी अपने अहंकार को संतुष्ट करने और अपने प्रतिस्पर्धियों को नुकसान पहुंचाने के लिए इतना नुकसान उठा सकती है। वास्तव में, ग्राहकों का एक हिस्सा Jio कनेक्शन चुन सकता है जो अंततः रिलायंस को ही फायदा पहुंचाएगा। यह कभी भी हमारी लड़ाई नहीं थी और हमें इस्तेमाल किया गया था। इसलिए हमने इस लड़ाई से हाथ खींच लिए।"
बुधवार को AIDCF के महासचिव मनोज छंगानी को लिखे एक पत्र में केरल कम्युनिकेटर्स केबल लिमिटेड (KCCL) और KVBL के प्रबंध निदेशक सुरेशकुमार पीपी ने भी कहा कि जियो और डीटीएच प्लेटफॉर्म इस संकट का फायदा उठा रहे हैं।
KCCL 3.1 मिलियन से अधिक ग्राहकों के साथ AIDCF का एक प्रमुख सदस्य था, जिसने पाला बदल लिया और NTO 3.0 का अनुपालन करते हुए बुधवार को इंटरकनेक्शन समझौते पर हस्ताक्षर किए।
Broadcasters के साथ लड़ाई में AIDCF के पास अंत मे केवल छह केबल ऑपरेटर - जीटीपीएल हैथवे, हैथवे डिजिटल, डेन, हिंदुजा समूह के एनएक्सटी डिजिटल, फास्टवे ट्रांसमिशन और एशियानेट डिजिटल - बच गए थे।
ये छह केबल ऑपरेटर देश के 2.5 करोड़ घरों तक पहुंचते हैं, जिनमें से 75% यानि 1.8 करोड़ घरों में रिलायंस के जीटीपीएल हैथवे, हैथवे डिजिटल और डेन का हिस्सा था।